राष्‍ट्रीयहरियाणा

गुरुग्राम निगम में शहरी निकाय स्वामित्व योजनाओं में हुएं व्यापक भ्रष्टाचार का खुलासा किस्त 1

सत्य ख़बर, गुरुग्राम, सतीश भारद्वाज :

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने व्यापारियों को एक नायाब तोहफा देते हुए शहरी निकाय स्वामित्व योजना लागू की थी । इस योजना में गुरुग्राम नगर निगम में जमकर भ्रष्टाचार हुआ। जिसका परतें अब खुलना शुरू हो गई है।

World Environment Day 2025: विश्व पर्यावरण दिवस पर PM मोदी का 'एक पेड़ माँ के नाम' अभियान और अरावली हरित दीवार का बड़ा संदेश
World Environment Day 2025: विश्व पर्यावरण दिवस पर PM मोदी का ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान और अरावली हरित दीवार का बड़ा संदेश

निगम सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आज जो सदर बाजार की सड़कों की दयनीय हालत है, उसके लिए व्यापारियों के साथ-साथ नगर निगम के कुछ भ्रष्ट अधिकारियों की खुब मिली भगत रही है, इस योजना के तहत शहरी निकाय योजना में यदि किसी आवेदन ने सड़क पर कब्जा किया हुआ है। तो वह कब्ज़ा छुड़वाना अधिकारियों की जिम्मेदारी थी और उसके उपरांत ही उस आवेदक को वह जमीन देनी थी, परंतु इसके अधिकारियों ने पता लगने के बाद भी भ्रष्टाचार के चलते अवैध कब्जों पर कार्रवाई नहीं की गई। वहीं फाइलों को पास किया अवैध कब्जो को यथास्थिति बरकरार रखा गया। एक आवेदक जिसके पास केवल 7 गज जगह तहबजारी पर थी । और उसने 16 गज जमीन पर सदर बाजार मुख्य रोड के किनारे पर कब्जा किया हुआ था, जिसमें से बाकी 9 गज जमीन सदर बाजार मुख्य सड़क का हिस्सा थी जो कि अवैध कब्जा आज भी बरकरार है, वहीं उसकी दुकान की कन्वेंस डिड निगम अधिकारियों द्वारा 7 गज की करा दी गई है। वहीं एक अन्य मामले में कब्जा केवल 5.5 गज जमीन तहबजारी पर थी, परन्तु कब्जा 16 गज जमीन पर अधिकारियों को मिला दुकान की कन्वेस डिड 5.5 गज की हो चुकी है, वहीं सदर बाजार में इस बात की चर्चाएं भी जोरों पर है कि यह केवल दो ही मामले नहीं है पूरे सदर बाजार में मुख्य सड़क के दोनों तरफ 10 से 15 फुट के अवैध कब्जे हैं, जिसको निगम अधिकारी भली-भांति जानते हैं, जिसको हटाने के लिए वर्ष 2015 में भी नोटिस दिए गए थे परंतु फाइल नगर निगम से गायब हो चुकी है, जिसकी FIR खानापूर्ति कर तोड़ मरोड़ के पुलिस में दर्ज करा दी गई है। वहीं पुलिस ने भी मामले की तह तक जाने की बजाय भ्रष्टाचार के चलते मामला अनट्रेंस कर दिया गया बताया जा रहा है। जबकि इस योजना के आवेदन पर स्पष्ट है कि दो अधोहस्ताक्षरी अधिकारी में मौके का मुआयना कर उक्त जमीन का निरीक्षण किया है। जिससे यह स्पष्ट बात झलकती है कि अधिकारी ने अपनी रिपोर्ट में भी माना है कि आवेदन करने वाले व्यक्ति का कितना कब्जा है। इससे यह बात साफ लगती है कि अधिकारियों ने मिली भगत करके भ्रष्टाचार के चलते अवैध कब्जे हटाना मुनासिब नहीं समझा वहीं बाजर की फाइलो को क्लीन चिट देते हुए पास कर दिया। जबकि तहबाजारी की दुकानों के मामलों में हुए भ्रष्टाचार का मामला सीएम दरबार भी पहुंचा था। जिस पर सीएम ने अधिकारियों से भी जबाव मांगा था।

Bangalore Stampede: बेंगलुरु की खुशी बनी मातम की रात! कितनी बड़ी थी भीड़ और क्यों टूटा स्टेडियम का गेट, जांच से खुलेंगे नए राज
Bangalore Stampede: बेंगलुरु की खुशी बनी मातम की रात! कितनी बड़ी थी भीड़ और क्यों टूटा स्टेडियम का गेट, जांच से खुलेंगे नए राज

Back to top button